क्या आपको आपकी प्रकृति पता है? जानें अपनी प्रकृति आयुर्वेद के अनुसार – Ayurveda Body Type
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आप में से ज्यादातर लोगों को खुद का ब्लड ग्रुप पता ही होगा।
होना भी जरूरी है क्योंकि अगर आप ब्लड डोनेशन करने जा रहे हैं या किसी इमरजेंसी में आपको ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ जाए
तो उस समय पर हमें अपना ब्लड ग्रुप पता होना बहुत जरूरी होता है,वो ब्लड आरएच पॉजिटिव है या निगेटिव है।
ऐसी सारी इन्फॉर्मेशन लेने के बाद ही किसी व्यक्ति को या तो ब्लड दिया जाता है या फिर उसका ब्लड लिया जाता है ये बहुत इम्पॉर्टेंट है, किसी व्यक्ति के जीवन के लिए।
वैसे ही क्या आपको आपकी प्रकृति पता है? Ayurveda Body Type
जी हां आयुर्वेद में प्रकृति को बहुत महत्व दिया गया है।
प्रकृति अर्थात जन्म के समय जो आपका स्वभाव या नेचर बन गया है, वो मरते दम तक आपके शरीर में बने रहने वाला जो नेचर है, उसी को आयुर्वेद में प्रकृति कहा गया है।
जानते हैं,
प्रकृति का अर्थ होता क्या है?
वो बनती कैसे है और,
क्यों किसी भी व्यक्ति को उसकी प्रकृति जानना बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रकृति का अर्थ – Ayurveda Body Type
प्रकृति अर्थात हमारा एक विशेष नेचर होता है,
आप सभी के आसपास या आप सभी का एक नेचर नहीं होगा,
जैसे कि आपके घर में चार से पांच लोग होंगे तो हर एक व्यक्ति का अलग अलग स्वभाव या अलग अलग नेचर होगा,
सभी लोग एक तरह का खान पान करते ही हैं फिर भी किसी को उसमें से फायदा होगा, किसी को नुकसान होता होगा।
ऐसी सारी चीजें आपको आसपास देखने को मिलती होगी उसी चीज को आयुर्वेद में स्वभाव या नेचर कहा गया है।
जैसे कि चरक संहिता में 13 तरह के विशेष शब्द और उनके टीकाकारों ने प्रकृति के लिए 13 अलग अलग शब्द कहे हैं उसमें एक विशेष शब्द आता है,
देहस्य सहज लक्षण्म।
अर्थात जो हमें जन्म से सहज मिला है वही हमारी प्रकृति है।
एक एग्जाम्पल से समझते हैं, मान लीजिए कि कोई व्यक्ति है जो कि बचपन से ही जल्दी जल्दी काम करता है, उसे किसी ने सिखाया नहीं है, वह बचपन से ही जल्दी जल्दी खाता है, जल्दी जल्दी चलता है, जल्दी जल्दी बोलता है या फिर कहीं बैठा है तो ऐसे ही अंगुलियां तोड़ते रहता है, हमेशा सोचते रहता है,
तो ये सारे के सारे लक्षण उसे जन्म से मिले हैं और मृत्यु तक उसके सारे के सारे लक्षण ऐसे ही रहेंगे, तो ऐसे व्यक्ति को हम वात प्रकृति का व्यक्ति कह सकते हैं,
जिसको कि जन्म से ही ऐसा लक्षण मिला है कि वो हर काम जल्दबाजी में करेगा।
तो प्रकृति का यह अर्थ हुआ कि जो नेचर हमें जन्म से मिलती है और मरते दम तक, अंत तक जो हमारे साथ बनी रहती है उसे प्रकृति कहते हैं।
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प्रकृति बनती कैसे है? Ayurveda Body Type
आयुर्वेद के अनुसार, गर्भधारण के समय जिस तरह का शुक्राणु होता है, जिस तरह का बीज होता है, उसमें कौन से दोष डोमिनेंट है, प्रबल हैं, वात पित्त या कफ।
इनमें से जो भी दोष डोमिनेंट होगा, उसके आधार पर किसी बच्चे का स्वभाव या फिर नेचर बनता है।
साथ ही साथ मां बाप का क्या नेचर है उसका भी फर्क पड़ता है।
आसपास में क्या क्या एनवायरमेंट, किस जगह पर रहते हैं, ये सारी चीजें लेकर, कौन सा मौसम चल रहा है, मां किस तरह का आहार विहार कर रही है, जो उसके पिता है जिनके शुक्राणु आने वाले हैं,
वो किस तरह का आहार विहार कर रहे है, ये सारी चीजें मिलाकर किसी एक बच्चे का किसी एक व्यक्ति का गर्भ के समय पर, नेचर या फिर प्रकृति बनती है।
तो इसे ही आयुर्वेद में सात तरह के शारीरिक प्रकृति में बांटा गया है।
एक और सवाल आप में से बहुत सारे लोग के मन में आता होगा कि,
क्या प्रकृति बदली जा सकती है?
तो आयुर्वेद के अनुसार प्रकृति कभी नहीं बदली जा सकती। जिस व्यक्ति का जो नेचर है वो कभी नहीं बदला जा सकता।
हां उसे कंट्रोल करके रखा जा सकता है पर वो कभी बदला नहीं जा सकता।
एग्जाम्पल जैसे कि कोई व्यक्ति है जो जन्म से ही कफ प्रकृति का है, तो वो हमेशा धीरे बोलेगा, धीरे खाएगा, धीरे चलेगा, धीमे धीमे सभी काम करेगा।
उसे मोटिवेशनल लेक्चर सुनाकर या कोई विषय पूछकर थोड़ा बहुत काम जल्दबाजी में उससे करवाया जा सकता है, पर जब वो फिर से अकेला होगा या एकांत में खुद से कोई काम करेगा तो धीमे धीमे ही करेगा क्यूंकि यह उसका नेचर है यह उसका स्वभाव है।
तो प्रकृति जन्म के समय बनती है और कभी उसे बदला नहीं जा सकता।
आपके लिए प्रकृति जानना क्यों जरूरी है? Ayurveda Body Type
आयुर्वेद में प्रकृति को क्यों इतना ज्यादा महत्व दिया गया है या आपको अपना नेचर या प्रकृति क्यों पता होना जरूरी है तो उसके कुछ कारण हैं।
कारण नंबर 1
आपको अपनी प्रकृति इसलिए पता होना जरुरी है क्यूंकि वही डिसाइड करेगी की कोई भी वस्तु आपके लिए अमृत है या जहर।
कोई भी चीज आपको खानी चाहिए या फिर नहीं खानी चाहिए।
जैसे एक एग्जाम्पल में हम लहसुन को ही ले लेते हैं कि लहसुन का नेचर गरम है।
अब कोई वात प्रकृति का व्यक्ति है अर्थात ठंडे नेचर का है तो उसके लिए तो लहसुन बहुत अच्छा है क्योंकि वह गरम है, लेकिन कोई पित्त प्रकृति का व्यक्ति है तो उसके लिए लहसुन बिल्कुल भी अच्छा नहीं है, क्योंकि लहसुन का स्वभाव गर्म है।
अब कफ प्रकृति वाला है तो उसके लिए लहसुन चलेगा, अर्थात वात, कफ के लिए लहसुन बहुत अच्छा है, पित्त के लिए उतना अच्छा नहीं है।
तो यह चीजें आपको तब पता चलती हैं जब आपको आपका नेचर पता होता है।
अगर उस आधार पर आपको आपकी प्रकृति पता है, तब आप खान पान के समय ये डिसाइड कर पाएंगे कि कौन सी चीज आपके लिए अच्छी नहीं है और कौन सी चीज आपके लिए अच्छी है।
बस केवल इतना ही जान लेने से आप कई तरह के खराब या फिर गलत तरह के खान पान गलत तरह की आदतों से बच सकते हैं,
साथ ही साथ भविष्य में होने वाली बीमारियों से भी आप सुरक्षित रह सकते हैं,
क्योंकि आपने अपना अन्न ही सुधार लिया आपने अपना खान पान और रहन सहन नहीं सुधार लिया और प्रकृति के अनुसार उसे कर लिया तो आप मैक्सिमम बीमारियों से बचे रहेंगे।
कारण नंबर 2 – Ayurveda Body Type
आपको प्रकृति इसलिए पता होनी चाहिए, एक अच्छा समाज या एक अच्छे रिलेशन, एक अच्छे परिवार के लिए।
क्यों कि बहुत बार हममें से ज्यादातर लोगों को नेचर नहीं पता रहता इसलिए हम कई बार चिढ़ जाते हैं या गुस्सा हो जाते कि, ये तो हमेशा जल्दबाजी में रहता है,
यह हमेशा जल्दी जल्दी ही बोलता है, जल्दी जल्दी काम करता है ,जल्दी जल्दी हड़बड़ी में रहता है या कई मां बाप आते हैं जो बोलते हैं कि, हमारा बच्चा बहुत स्लो है, ये डल है, ठीक से बातचीत नहीं करता।
ज्यादा एक्टिविटी नहीं करता। शांत बैठे रहता है या कुछ मां बाप आकर ऐसे बोलते हैं कि हमारा बच्चा हाइपर एक्टिव है, शांत नहीं बैठता, उछलकूद करते रहता है।
तो जब हमें प्रकृति के बारे में समझ में आ जाएगा अर्थात हम जब नेचर को समझने लग जाएंगे तब हमें पता चलेगा कि अगर कोई वात प्रकृति का है तो उसका वह स्वभाव ही है कि वो जल्दी जल्दी काम करेगा, जल्दी जल्दी बोलेगा, जल्दी जल्दी खाएगा, जल्दी जल्दी चलेगा,
वो उसका नेचर है पित्त वाला है तो वो जल्दी भड़केगा, जल्दी एग्रेसिव होगा।
कोई कफ वाला है तो वो हमेशा स्लो ही रहेगा।
जब ये सारी चीजें आपको पता चलेंगी तब आप बहुत तरह के झगड़े या बहुत तरह की जो समस्याएं आती हैं, खास करके घर में या रिलेशनशिप में, कि ये ऐसा है, वो वैसा है, मेरी बात नहीं सुनता, ये काम नहीं करता,
तो वो सारी चीजें समझने के कारण आप एक अच्छा रिलेशन, एक अच्छी फैमली या अच्छे दोस्तों के साथ आप सोच समझ कर रह पाएंगे।
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कारण 3 – Ayurveda Body Type
एक और विशेष कारण है कि आपको की प्रकृति पता होनी चाहिए चिकित्सा के लिए, आयुर्वेद के जितने भी चिकित्सा हैं वो सब के सब विशेष करके प्रकृति के आधार पर कही गई हैं,
यानी कि आपके शरीर में कौन सी चीज ज्यादा डोमिनेंट है, वात पित्त या फिर कफ या इनमें से कोई दो चीज डोमिनेंट है, जैसे की वात पित्त, पित्त कफ, कफ वात, इनमें से जो भी चीज़ें बढ़ी रहेंगी उसी के आधार पर आपको कोई भी आयुर्वेद का डॉक्टर या आयुर्वेद का वैद्य उपचार देगा।
जैसे कि आज के दौर चलता है कि इस बीमारी के लिए बस ये टॉनिक खा लो, ये किट खा लो या ये वाला बस प्रोडक्ट खरीद लो जॉइंट पेन के लिए वो ठीक हो जाएगा, पर आयुर्वेद इस तरह की चिकित्सा नहीं कहता है।
आयुर्वेद कहता है कि किसी व्यक्ति को समझिए कि जोड़ों का दर्द हो रहा है तो उस जोड़ों के दर्द को देखो।
साथ ही साथ उस व्यक्ति की प्रकृति को देखो।
जैसे कि किसी व्यक्ति को जॉइंट पेन हो रहा है और वो मोटा है, कफ प्रकृति का है तो उसके लिए शिलाजीत जैसी औषधियां ज्यादा अच्छा होंगी जो उसके वजन को कम करे और जोड़ों के दर्द को कम करे या फिर गूगल जैसी औषधियां बहुत अच्छी हो सकती है
पर कोई पतला व्यक्ति है, गरम स्वभाव का है, बहुत ट्रैवल करता है तो उस व्यक्ति के लिए आयुर्वेद में कही गई ठंडी औषधियां, वो ज्यादा सूटेबल करेंगी जैसे कि पीपल का पत्ता या फिर घी वाली सभी औषधियां तो बीमारी की चिकित्सा के लिए।
बहुत बार ऐसा होता है कि हमें न तो अपना नेचर पता होता है, ना ही जो बीमारी हुई है उसका क्या नेचर है वो पता होता है। इसके लिए हम कई सारी औषधियां खाते रहते हैं और खा खा कर केवल बीमार या परेशान होते रहते हैं ।
तो चिकित्सा कौन सी आपके लिए बेस्ट है उसके लिए आपको आपकी प्रकृति पता होना बहुत जरुरी
कारण 4
वैसे भी प्रकृति जानने के और भी कई फायदे हैं जैसे कि किस तरह के फल आपके लिए अच्छे हैं, किस तरह की सब्जी आपके लिए अच्छी है, किस तरह का अन्न आपके लिए अच्छा है,
किस तरह के मौसम में रहना आपके लिए अच्छा है, कब बचके रहना है कब यूज करना है कब चीजों को खाना है कब नहीं खाना है, यह सारी की सारी चीजें आप जान सकेंगे और अपने आप को आप स्वस्थ रख सकेंगे अगर आपको आपकी प्रकृति पता है।
कारण 5 – Ayurveda Body Type
एक और महत्वपूर्ण कारण है जिसके लिए आपको अपनी प्रकृति जानना जरूरी है आजकल आयुर्वेद के नाम पर व्यापार हो रहा है,
किसी भी केमिकल को उठाकर उसमे कोई हर्ब्स मिला दिए जाते हैं और कहा जाता है कि यह आयुर्वेदिक टूथपेस्ट है या यह आयुर्वेदिक शैंपू है या फिर यह आयुर्वेदिक क्रीम है या फिर आयुर्वेदिक
AC है तो अगर आपको अपनी प्रकृति ठीक से पता होगी तो आप उस प्रोडक्ट को जान समझ कर ठीक प्रकार से यूज़ कर पाएंगे।
उम्मीद करती हूँ आपके लिए ये आर्टिकल फायदेमंद सिद्ध होगा




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