Calf Pain – वेरिकोस वेंस क्या है ये किसको हो सकती है – 1
क्या आपके पैर अक्सर सुन्न हो जाते हैं। क्या आपका ज्यादातर समय खड़े हुए बीतता है या आपका लगातार बैठे रहने का काम है।
क्या आपका वजन बढ़ा हुआ है और आप रोजाना एक्सरसाइज नहीं करते हैं तो हो जाइए सावधान
क्योंकि आपको भी हो सकता है वेरीकोस वेन का प्रॉब्लम।
हमारे शरीर में किसी तरह की कमी या कोई बीमारी (disease) के चलते हड्डियों (Bones), बालो (Hair) यानी कि हमारे शरीर के किसी न किसी अंदरूनी अंग में कमजोरी (Weakness) आ जाती है।
ठीक इसी तरह जब हमारे शरीर की नसों में कमजोरी आ जाती है तो उस कमजोरी की वजह से हमें कई तरह की गंभीर बीमारियां होने लगती है।
वैरिकोज वेन्स उन्हीं बीमारियों में से एक है।
आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि वैरिकोज वेन्स की बीमारी किस वजह से होती है और किन लोगों को यह बीमारी हो सकती है।
हमारे शरीर में दो तरह की नसे (Blood Vessels) होती है जिन्हें कि लाल और नीले रंग से दर्शाया जाता है। लाल रंग की नसों को आर्टरीज़ (Arteries) कहा जाता है। यह हमारे heart यानी की ह्रदय से शरीर के दूसरे सभी अंगों में खून पहुंचाने का काम करती है।
इन नसों में शुद्ध खून याने की आक्सीजन युक्त (Oxygenated) खून पाया जाता है इसलिए इनका रंग लाल होता है।
नीली वाली नसों को वेन्स कहा जाता है। यह हमारे शरीर के सभी अंगों से अशुद्ध खून यानी कि deoxygenated ब्लड को हमारे ह्रदय तक पहुंचाती है ताकि वह दोबारा शुद्ध होकर लाल वाली नसों के जरिये शरीर में आ सके।
नीली नसों में से कुछ नसे जो कि हमारी त्वचा (Skin) के ज्यादा करीब होती है वह हमारे शरीर के अलग अलग अंगों पर हल्के हरे रंग की दिखाई देती है।
वैरिकोज वेन्स की समस्या इन्हीं नसों में होती है। चूंकि इन नसों को शरीर का खून अंगो से लेकर ह्रदय में पहुंचाना होता है इसलिए लाल नसों के मुकाबले इनका काम ज्यादा मुश्किल होता है और गुरुत्वाकर्षण (Gravity) के दबाव की वजह से इन्हें शरीर के निचले हिस्सों से ऊपर ह्रदय तक खून को धकेलने में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है।
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इन नसों द्वारा खून ऊपर की तरफ रुक रुक के जाता है और खून (Blood) को ऊपर पहुंचाते समय उसे दोबारा नीचे आने से रोकने के लिए नसों के अंदर वॉल्व (Volve)पाए जाते हैं।
सामान्यतः इन वॉल्व की मदद से खून के नीचे जाने का रास्ता ब्लॉक हो जाता है और खून केवल नीचे से ऊपर की तरफ बढ़ता रहता है। लेकिन वेरीकोज वेन्स की बीमारी में नसों में मौजूद यह वाल्व कमजोर हो जाते हैं जिनकी वजह से कुछ खून ऊपर जाता है और कुछ खून दोबारा नीचे आकर वहीं नसों के वाल्वज में अटककर इकट्ठा होने लग जाता है।
खून एक जगह एकत्रित होने की वजह से धीरे धीरे नसे फूलकर टेढ़े मेढ़े आकार में बदलने लगती है और त्वचा पर नीले हरे रंग में यह उभरी हुई नजर आने लगती है (Calf Pain)।
हमारे शरीर के निचले हिस्से में खून का दबाव ज्यादा होता है इसलिए अक्सर यह बीमारी कमर के निचले वाले ही समय ज्यादा होती है।
जिसमें की calf यानी कि पिंडलियों और एड़ी के नजदीक वाले हिस्से बहुत कॉमन हैं। समय के चलते अगर इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह धीरे धीरे गंभीर होती जाती है।
नसों और पैरों में दर्द या खुजली होना भारीपन महसूस होना बीमारी ज्यादा बढ़ने पर पस या खून निकलने और अल्सर होने की भी बहुत अधिक संभावना बन जाती है (Calf Pain)।
ज्यादातर यह बीमारी जेनेटिक होती है जो कि परिवार के एक सदस्य से होकर पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है।
लेकिन जिन लोगों का बहुत ज्य़ादा खड़े रहने या रोजाना पूरे समय बैठे रहने का काम होता है उन लोगों को भी यह बीमारी होने की बहुत अधिक संभावना होती है क्योंकि लगातार खड़े रहने से पैरों में खून का दबाव बढ़ता है जिससे कि समय के चलते नसों में कमजोरी आने लगती है।
इसके अलावा ज्यादातर महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद नसों में कमजोरी आ जाती है लेकिन जिन लोगों का वजन बढ़ा हुआ है पर फिर भी वह एक्ससाइज नहीं करते हैं, ऐसे लोगों के शरीर की नसों में भी अचानक कमजोरी आ जाती है।
लंबे समय तक खान पान में लापरवाही बरतने से ज्यादातर 30 की उम्र के बाद पैरों की नसों में कमजोरी आने लगती है और साथ ही पोषक तत्वों की कमी या हार्मोन्स में बदलाव के कारण भी शरीर की नस कमजोर हो सकती है।
अगर आपका लाइफस्टाइल भी बताई गई बातों से मिलता जुलता है या आपको अकसर पैरों में दर्द (Calf Pain) की समस्या रहती है तो आपको इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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वैरिकोज वेन्स की समस्या होने पर दो तरह के उपाय करना बहुत जरूरी होता है।
पहला शरीर की नसों में खून के बहाव को तेज किया जाए दूसरा नसों के कमजोर हो चुके टिशूज को दोबारा मजबूत किया जाए। इस विषय पर अगले आने वाले Article में जानेगें, Varicose वेन्स की बीमारी को पूरी तरह जड़ से खत्म करने के लिए बहुत ही कारगर घरेलू नुस्खों के बारे में जिसके पहले ही इस्तेमाल से आपको फर्क दिखना शुरू हो जाएगा और कम समय में ही इस समस्या में तेजी से सुधार आएगा।
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