क्या होती है चर्बी की गांठ, जानें इसके कारण और घरेलू इलाज – Lipoma Ayurvedic Treatment
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शरीर में किसी भी तरह की गांठ को आयुर्वेद में गुल्म कहा जाता है।
बहुत बार हमारे शरीर में कहीं न कहीं गांठ बन जाती है जैसे कि पेट में, छाती में हाथ में (Lipoma) या फिर महिलाओं में खास करके पीसीओडी या गर्भाशय में गांठ हो जाना, ब्रेस्ट में गांठ हो जाना।
हमारे देश में पांच में से हर एक महिला के शरीर में किसी न किसी तरह की गांठ जरूर है।
शुरू शुरू में तो हम गांठ को नजरअंदाज करते हैं क्योंकि ये छोटी होती है, पर जैसे जैसे ये बड़ी होने लग जाती है, वैसे वैसे ही हमारे दिमाग का टेंशन बढ़ना चालू हो जाता है और बहुत बार दिमाग में ये ख्याल आता है, ये गांठ शरीर में आ कहां से गई और मुझे ही क्यों हुई।
तो जानते हैं कि शरीर में गांठ क्यों बनती है, उसके मुख्य कारण शरीर में गांठ किस तरह बनती है ये भी और उन गांठों में आपको क्या इलाज या चिकित्सा करनी चाहिए।
गांठ होती क्या है?
आपने साबुन के बबल या झाग जब हम करते हैं तो उस समय जो बुलबुले उठते हैं उसे जरुर देखा होगा।
उसमें बाहर से एक लेयर होती है और अंदर हवा भरी रहती है या फिर आपने गर्मियों के टाइम में खेत में मिट्टी के गोले जरूर देखे होंगे।
अब यह गोले क्यों बनते हैं – Lipoma Ayurvedic Treatment
तो गर्मी के समय में पानी सूख जाता है रूखापन आ जाता है और उसके कारण मिट्टी के गोले बनते हैं।
कुछ ऐसा ही कहना है आयुर्वेद का, कि जब जब आपके शरीर में रूखापन या फिर रूक्षता बढ़ेगी, सूखापन बढ़ेगा तब तब आपके शरीर के अंदर जो वात – वायु होती है, वह बिगड़ जाती है और शरीर में गांठ बनाने का काम करती है।
अब यह वायु क्यों बिगड़ती है, उन कारणों को जान लेते हैं।
आचार्य चरक ने चिकित्सा अध्याय 5 में गांठ बनने के कुछ विशेष कारण बताए हैं।
1. वेग धारण करना
अर्थात् जोजो प्राकृतिक वेग होते हैं जैसे कि यूरीन पेशाब का वेग, या फिर अपान वायु गैस का वेग का वेग या फिर भूख प्यास।
इन तरह के जो वेग होते हैं, जब व्यक्ति इन वेग को धारण करता है तो उनको धारण करने से, धारण करना अर्थात रोकना।
जब कोई व्यक्ति जबरदस्ती इन नेचुरल वेग रोकता है, तो रोकने के कारण शरीर में मल इकटठा होना शुरू हो जाता है और यह मल धीरे धीरे गाँठ का रूप धारण कर लेता है या फिर शरीर में गांठ बन जाती है।
2. भूख लगे होने पर पानी पीना – Lipoma Ayurvedic Treatment
बहुत से लोग ऐसे हैं जो खुलकर भूख लगी होती है, उस समय पर पानी पीते हैं, ऐसा करने से अग्नि मंद हो जाती है और वायु विकृत होती है, जिससे शरीर में बहुत बार गांठे बन जाती हैं और
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3. रूखापन या फिर ड्राइनेस
ऐसे लोग जो ये कहते हैं कि जीरो फैट, जीरो आइल या फिर हम लोग तेल घी नहीं खाते।
हम तेल घी से दूर रहते हैं। ऐसे सभी लोग जिनके शरीर में रूक्षता ज्यादा बढ़ती है, क्योंकि वो ना तो तेल शरीर में लगाते हैं और ना ही खाने में घी का ठीक से प्रयोग करते हैं।
तो जब जब आपके शरीर में रूक्षता बढ़ेगी,
वो चाहे, एसी में रहने के कारण हो, तेल घी ना खाने के कारण हों या बहुत ज्यादा ट्रैवलिंग करने के कारण हो, तो जब जब शरीर में रूखापन, रूक्षता बढ़ेगी, वो जाकर वायु को बिगड़ेगी और यह वायु, वात और पित्त के साथ मिलकर शरीर में गांठ बनाने का काम करते हैं।
अब यही शुरू शुरू में बनने वाली गांठ आगे चलकर कैंसर या फिर टीबी की गांठ ऐसी कई बड़ी बड़ी बीमारियों को भी जन्म देने का काम करती है।
तो आप इन गांठों में क्या कर सकते हैं या किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किस तरह की चिकित्सा करानी चाहिए, जानते हैं।
सभी तरह की गांठें चाहे वो महिलाओं को पीसीओडी हो, या कैंसर की गांठ हो या फिर गर्भाशय, ब्रेस्ट इन सभी जगहों पर गांठ हो, आयुर्वेद में पांच तरह की गांठ कही गई है।
इन सभी में सबसे पहले चिकित्सा है वो है,
1.निदान परिवर्जन – Lipoma Ayurvedic Treatment
अर्थात जिस कारण बीमारी हुई है, उन बीमारी के कारणों को खत्म करना जैसे कि प्राकृतिक वेग, यूरीन, मल के वेग को कभी नहीं रोकना चाहिए।
और शरीर में रूखापन ना आए इसके लिए रोज शरीर पर तेल की मालिश करना और खाने में घी का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
2. बिगड़ी वायु का इलाज
जैसे कि चरक ऋषि ने कहा है, शरीर में गांठ बनने का जो मुख्य कारण है वो वायु का बिगड़ना है, तो इस वायु को हमेशा नॉर्मल रखें।
तो वायु को कैसे नॉर्मल रख सकते हैं, इसके बारे में आयुर्वेद में लिखा है,
हरड़ यानी की हरीतकी एक ऐसी औषधि है जो वायु को अनुलोम करने में बैस्ट है।
आपके शरीर में किसी भी तरह की वायु बिगड़ी हो। आयुर्वेद में पांच तरह की वायु कही गई है, इनमें से किसी भी प्रकार की वायु अगर आपके शरीर में बिगड़ी है, तो उसके लिए हरड़ सर्वश्रेष्ठ दवा है,
क्योंकि ये सभी प्रकार की बिगड़ी वायु को एकदम नॉर्मल कर देती है और ठीक करने का काम करती है।
तो रोज खाना खाने से पहले एक चौथाई या आधा चम्मच हरड़ का पाउडर लेकर उसे एक चम्मच घी में मिलाकर खाना चाहिए या फिर आप हरड़ को घी में सेक कर रख भी सकते हैं
और खाना खाने के पहले थोड़ी सी घी में सेकी हुई हरड़ खाकर गरम पानी पी सकते हैं।
ऐसा करने से शरीर के अंदर जो कोई भी वायु बिगड़ी है,वो नॉर्मल हो जाएगी और जो कुछ भी मल, विष या टॉक्सिन्स इक्ट्ठा है, धीरे धीरे वो बाहर निकलने लग जाएंगे।
3. नित्य विरेचन – Lipoma Ayurvedic Treatment
अर्थात पहले के वैद्य ऐसे करते थे, आज से लगभग 60, 70 साल या सौ साल पहले,
की वो रोगी का पेट साफ सबसे पहले जरूर कर देते थे और हर दो दो महीने में एरंड या कैस्टर ऑयल पीने की सभी घरों में परंपरा थी।
बहुत से मां बाप बच्चों को थोड़ी मात्रा में दो दो महीने में एक या दो चम्मच तेल पिलाते थे जिससे कि उनका पेट साफ हो जाता था।
तो हर दो महीने में अपने नजदीकी किसी भी आयुर्वेदिक डॉक्टर से मिलकरआपके लिए पेट साफ करने की कौन सी दवा अच्छी है वो आप ले आइए और हर दो महीने में एक बार अपने पेट की सफाई आप जरूर कीजिए।
ऐसा करने से मल शरीर से निकलेगा, वायु नॉर्मल होगी और जो शरीर में गंदगी या टॉक्सिन इकट्ठा हो रहे हैं वो इकट्ठा नहीं होंगे और आप गांठ से भी बचे रहेंगे।
4. पंचकर्म
आयुर्वेद में वायु को ठीक करने के लिए, क्योंकि सभी गांठे वायु के बिगड़ने के कारण ही होती है, उसको ठीक करने के लिए जितनी भी चिकित्सा है, उसमें पंचकर्म में, जो बस्ती चिकित्सा कही गई है वो सर्वश्रेष्ठ है।
बस्ती अर्थात एनिमा – Lipoma Ayurvedic Treatment
अब पानी वाला एनिमा नहीं क्योंकि पानी के एनिमा से और शरीर में रूखापन पैदा होता है।
आयुर्वेद में कुछ विशेष तेल कहे गए हैं और कुछ विशेष काढ़े कहे गए हैं।
अगर उसकी बस्ती ली जाए तो आपके शरीर में कभी भी वायु बिगड़ेगी नहीं।
बस्ती अर्थात जो मल द्वार है या जो गुदा मार्ग है वहां से कुछ विशेष औषधियां चढ़ाई जाती हैं जो शरीर को पोषण देती हैं, वायु को नॉर्मल करती हैं और कई असाध्य बीमारियां,
खासकर के महिलाओं को जो पीसीओडी और बच्चेदानी की रसौली (Fibroid Uterus), या पेट के आसपास के जो भी कैंसर होते हैं या कैंसर की गांठें बनती है उसमें ये संपूर्ण चिकित्सा है तो नियमित बस्ती का प्रयोग जरूर करें।
आप बस्ती चिकित्सा घर में भी कर सकते हैं, किसी भी नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से मिलकर आप इसे सीख लीजिए और अपने घर पर आप रोज शाम को भोजन के बाद बस्ती का इलाज कर सकते हैं।
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5. ऐसा खानपान करना जो शरीर में गांठों को कम करने का काम करे
जैसे कि चूने का पानी,
जब पान में खाने वाला चूना गांठों में एक अच्छी दवा है,
तो एक गेहूं या चने के दाने के बराबर चूना लेकर उसे पानी में, दाल, रोटी में किसी में भी दिन में एक बार मिलाकर खाना चाहिए।
साथ ही साथ छाछ पीना, गांठ कम करने का एक अच्छा तरीका है।
खाने में परवल, सहजन या फिर बैगन इन सभी की सब्जियां खाना भी शरीर में गांठों को कम करता है।
तो इंटरनेट पर आपको ऐसी बहुत सी वीडियोस या ऐसे लोग मिलेंगे जो कहेंगे 15 दिन में गांठे ठीक, 20 दिन में गांठे ठीक, एक नुस्खा और सभी गांठ खतम उन सभी लोगों से बचकर रहें, क्योंकि उनमें ज्यादातर इलाज कम और बोल वचन ज्यादा होता है।
गांठे होने पर अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से जरूर मिले और इस वीडियो में जो बातें बताई गई हैं उसका पालन विशेष करें,
खासकर वह पंचकर्म में कही गई बस्ती चिकित्सा की,
आपको किसी भी तरह की गांठ हो इन सभी गांठों में आयुर्वेद की बस्ती चिकित्सा आपको मदद जरूर करेगी।
उम्मीद करती हूँ आपके लिए ये आर्टिकल फायदेमंद सिद्ध होगा




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