Stool – जरूरी लक्षण जो हमारी सेहत के बारे में हमारा मल बताता है
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जानते हैं एक ऐसे बेहद जरूरी विषय के बारे में, जिसके बारे में ज्यादातर लोग सोचते तक नहीं।
क्या आप जानते हैं आजकल हम जैसा भोजन (food) कर रहे हैं और जिस तरह के वातावरण (environment) में हम रह रहे हैं हमारे शरीर (body)में समय के साथ साथ धीरे धीरे कई तरह की छोटी और बड़ी बीमारियां (diseases) पनपती रहती हैं जिनका हमें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में (routine life)अहसास तक नहीं होता.
फिर अचानक एक दिन यही बीमारियां हमारे चेहरे पर पिम्पल (pimples), तरह तरह के त्वचा रोग (skin infection), बालों (hair problems)और आखों की कमजोरी (weak eyesight), दिल (heart)और लिवर (liver)से जुड़ी बीमारियां, किडनी में समस्या (renal problem), हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure), अस्थमा (asthma), माइग्रेन (migraine), दिमाग (brain) तथा पेट (stomach)से जुड़े कई तरह के रोग और यहां तक कि कैंसर (cancer) जैसी गंभीर समस्या के रूप में सामने आ जाते हैं।
कैसा हो अगर हमें अपने शरीर में चल रही हर गतिविधि और अंदरूनी हर छोटी बड़ी प्रॉब्लम (Internal problem) का बिना किसी डॉक्टर की सहायता लिए ही पता चल जाए।
वैसे अगर देखा जाए तो हमारा शरीर किसी भी बीमारी की शुरुआत में ही हमें अलग अलग तरह से उसके बारे में संकेत (symptoms) देने लगता है जिन पर अगर हम ध्यान देने लगें तो सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या को आने से पहले ही खत्म भी किया जा सकता है।
हमारे चेहरे और शरीर की त्वचा (skin), हमारे बाल(Hair), आंखें (eyes), जीभ (Tongue), पेशाब (urine), मल (Stool) और हमारे नाखूनों (Nails) के जरिए बॉडी के अंदर चल रही गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है।
जानते हैं हमारे शरीर से निकलने वाला व्यर्थ पदार्थ (Toxins) यानि कि हमारे मल (Stool) के जरिए शरीर के अंदर चल रही किन किन गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है।
सुनने में थोड़ा गंदा और अजीब (Awkward) जरूर लग रहा होगा लेकिन ये सच है कि हमारे शरीर में खून की स्थिति, पेट (Stomach), किडनी (Kidney) और लिवर के साथ साथ सभी अंदरूनी अंगों की सेहत का हमारे मल के जरिए पता लगा सकते हैं।
इसलिए कई बार किसी बीमारी के चलते जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो हमारी जीभ, आंख और नब्ज (Pulse) देखने के साथ साथ हमसे ये सवाल भी जरूर करता है कि हमें मल (Stool) त्याग कैसा हो रहा है।
फ्रेश होने का समय मल का रंग आकार प्रकार तथा आने का तरीका सेहत से जुड़े कई साधारण और कई बेहद गंभीर बीमारियों के संकेत भी देता है।
तो ये सबसे पहले बात करते हैं, मल के रंग की।
Yellow Stool
देखा जाए तो bile की वजह से हमारे मल में थोडा बहुत पीलापन (yellow) होना सामान्य माना जाता है लेकिन जब मल का रंग बहुत ज्यादा पीला नजर आने लगे तो साथ ही इसमें बहुत ज्यादा चिकनाहट तथा तेज दुर्गंध (Bad odor) भी आ रही हो तो यह दर्शाता है कि हमारे मल में फैट की मात्रा ज्यादा है।
ऐसी स्थिति तब होती है जब हमारा पाचन भोजन में फैट और दूसरे जरूरी पोषक तत्व ठीक तरह से एब्जॉर्ब नहीं कर पाता जिसकी वजह से धीरे धीरे शरीर में पोषक तत्वों (Nutrients) की कमी आने लगती है।
इसके अलावा पीला मल celiac disease नामक बीमारी का भी संकेत हो सकता है।
इस बीमारी में आटा (flour), ब्रेड (bread), मैदे (Refined flour) से बनी चीजें, ग्लूटन (gluten) rich food पेट को काफी तकलीफ देते हैं।
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काला मल – Black Stool
बहुत ज्यादा काला मल ज्यादा दवाइयों (Medicines) के सेवन का नतीजा भी हो सकता है, खासकर आयरन सप्लीमेंट्स (Iron supplements) ।
इसके अलावा गहरे लाल, जामुनी और काले रंग की चीजें खाने पर भी हमारी स्टूल (Stool) का कलर काला नजर आ सकता है।
लेकिन इन सबके अलावा काले रंग का मल आने के पीछे एक गंभीर वजह भी हो सकती है वो ये कि हमारे पूरे पाचन तंत्र (Digestive System) के किसी ना किसी अंदरूनी हिस्से में ब्लीडिंग यानि की खून का बहना।
वो हिस्सा हमारी भोजन नली पेट और आँतों में या हमारे पूरे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक (Gastro-intestinal track) में कहीं भी हो सकता है।
ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
सफेद ग्रे या काले जैसा मल
सफेद ग्रे या काले जैसा मल bile की कमी को दर्शाता है जो कि लिवर और पित्ताशय यानि की गाल ब्लैडर (Gall Bladder) से जुड़ी खराबी का भी संकेत हो सकता है क्योंकि लिवर और पित्ताशय ही वो ऑर्गन्स हैं जो बाइल बनाने का काम करते हैं।
सफेद या ग्रे कलर का मल कुछ स्थितियों में पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) और लीवर सिरोसिस (Liver cirrhosis) जैसी गंभीर बीमारियों में होता है।
किडनी की पथरी (Renal stone) के मुकाबले पित्ताशय की पथरी का काफी लंबे समय के बाद पता चलता है और फिर इसके इलाज में भी काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में अगर आपको अपने मल में सफेदी दिखाई दे तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।
लाल मल – Red Stool
आमतौर पर जब हमारा मल लाल रंग का दिखाई देता है तो इसकी मुख्य वजह हमारे द्वारा खाई गई चीजें ही हो सकती है। उदाहरण के लिए चुकंदर (beetroot), टमाटर (Tomato) या ऐसी ड्रिंक्स जिनमें लाल रंग का इस्तेमाल किया गया हो।
इन सभी के सेवन से हमारे स्टूल का कलर भी लाल नजर आ सकता है लेकिन जब मल में लाल रंग के दिखाई पड़ने का कारण भोजन नहीं हो, तो हो सकता है कि मल के साथ खून भी आ रहा हो और ऐसी स्थिति के बारे में जल्द से जल्द डॉक्टर को जरूर बता देना चाहिए
क्योंकि मल में खून नजर आना पाइल्स (Piles), फिशर (Fissure), अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) और यहां तक कि कैंसर (Cancer) का भी लक्षण हो सकता है और ये सभी बीमारियां ऐसी हैं जिनके बारे में कोई भी व्यक्ति सुनना नहीं चाहेगा।
कलर के बाद अब बात करते हैं मल के शेप की।
बॉडी से निकलने वाला हर टाइप का स्टूल (Stool) हमारी हेल्थ के बारे में बहुत कुछ बताता है।
1.जब मल छोटे छोटे और सख्त टुकड़ों में निकलता है तो यह गंभीर कब्ज यानी की कॉन्स्टिपेशन का संकेत माना जाता है। आमतौर पर ऐसा तब होता है जब फ्रैश होने के बावजूद भी दो से अधिक दिन तक वेस्ट हमारे शरीर में ही मौजूद हो।
ऐसी स्थिति कम पानी पीने और लगातार डाइट (Diet) में फाइबर (Fiber) की कमी के कारण पैदा होती है।
इस दौरान फ्रेश होते समय ज्यादा जोर भी लगाना पड़ता है इसलिए ऐसा होने पर ज्यादा पानी पीना स्टार्ट करें और साथ ही अपनी डाइट में फाइबर रिच फूड (Fiber rich food) जैसे कि दलिया (Oats), ताजे फल (Fresh fruits), सलाद (Salad), दालें (Legumes) और हरी पत्तेदार सब्जियां (Green leafy vegetables) शामिल करें और साथ ही मैदे से बनी चीजों को पूरी तरह अवाइड करें।
2. Large Lumpy Stool
लंबे और काँटेदार आकार में आने वाला मल भी कब्ज का ही संकेत देता है। यह दिखने में ठीक वैसा ही होता है जैसे मानो छोटे छोटे मल के टुकड़े आपस में चिपक गए हों।
ऐसा stool दर्शाता है कि आपके डेली रूटीन में ज्यादा शारीरिक हलचल शामिल नहीं है या आपका लंबे समय तक बैठे रहने का काम है (Sedentary) ।
यह कब्ज का वो लक्षण है जो धीरे धीरे गंभीर होता जाता है और बाद में इसकी वजह से कई दूसरी बीमारियां भी पैदा होने लगती हैं।
इसलिए रोजाना पानी ज्यादा पिएं और सुबह शाम थोड़ा वर्कआउट (Workout) जरूर करें।
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3. Banana shaped Stool
अगर आपके स्टूल का शेप केले के आकार का है जिसकी सतह पर हल्की दरारें भी दिखाई पड़ती हो तो घबराने की कोई बात नहीं क्योंकि ये पूरी तरह नॉर्मल होता है।
फ्रैश होते समय जब ज़ोर लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती तो ये एक अच्छी पाचन स्थिति की निशानी मानी जाती है लेकिन फिर भी अक्सर ठंड के मौसम में ज्यादातर लोग पानी कम पीते हैं।
इसकी वजह से कब्ज होने लगता है। इसलिए हमें अपने शरीर को पूरी तरह हाइड्रेटेड (hydrated) रखना चाहिए ताकि हमारा पाचन हमेशा ठीक रहे।
जब हमारी डाइट में फाइबर की मात्रा सही होती है और दिन भर हम अच्छा भोजन करने के साथ साथ पर्याप्त मात्रा में पानी भी पीते हैं तब हमारा Stool स्मूथ और सॉफ्ट हो जाता है जिसकी वजह से फ्रेश होते समय हमारा पेट भी आसानी से पूरी तरह साफ हो जाता है।
इस तरह का मोशन रोजाना नहीं तो हफ्ते में कम से कम दो से तीन बार जरूर होना चाहिए।
4. नर्म गीले और बड़े आकार की बूंदों में निकलने वाला मल हल्के दस्त यानी कि डायरिया का लक्षण माना जाता है।
ऐसा ज्यादातर पाचन की गड़बड़ी के कारण ही होता है। इस तरह का stool बहुत आसानी से पास हो जाता है इसलिए इस दौरान जब हमें फ्रेश होने की अर्ज महसूस होती है तब हम इसे ज्यादा कंट्रोल नहीं कर पाते और तुरंत बाथरूम की तरफ भागना पड़ता है।
आमतौर पर इस तरह के लक्षण एक से दो दिन में ठीक हो जाते हैं लेकिन अगर यह ज्यादा लंबे समय तक चलते रहे तो ये आईबीएस (IBS) यानी की इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम नामक बीमारी का भी लक्षण हो सकता है।
आईबीएस एक आंतों से जुड़ी बीमारी है जिसमें पेट दर्द, कब्ज, दस्त और गैस लंबे समय तक ठीक ही नहीं होते।
5. इसके अलावा बहुत ज्यादा पतला या खिचड़ी की तरह आनेवाला मल भी डायरिया का ही लक्षण होता है।
इस स्थिति में दिन भर में दो से ज्यादा बार फ्रेश hone की आवश्यकता पड़ती है। इस दौरान शरीर में पानी और जरूरी मिनरल्स (Minerals) की भी कमी हो जाती है जिससे व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है।
ऐसे में जरूरी है कि भरपूर मात्रा में पानी पिया जाए और साथ ही फलों के रस और सूप (Soup) का सेवन भी फायदेमंद होता है।
डायरिया पर कंट्रोल करने के लिए केले (Banana) और दही (Yogurt) जैसी चीजें लाभदायक होती हैं लेकिन अगर ये दो दिन से ज्यादा समय तक ठीक न हो तो डॉक्टर को जरूर दिखा देना चाहिए।
6. जब मल में किसी तरह का भी सॉलिड नहीं होता और वह पूरी तरह तरल के रूप में बाहर आता है तो यह गंभीर दस्त याने की सीवियर डायरिया (Severe Diarrhea) का लक्षण माना जाता है।
यह स्थिति सबसे ज्यादा परेशान कर देने वाली होती है और इसके पीछे एक से ज्यादा अलग अलग कारण भी हो सकते हैं, जैसे की, खराब खाने के चलते फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning) हो जाना, लैक्टोज इनटॉलरेंस (Lactose Intolerance) यानी की दूध से बनी चीजों से एलर्जी होना किसी तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन (Bacterial Infection) या किसी दवाई का साइडइफेक्ट (side Effect)।
इस दौरान कई लोगों को चक्कर (Giddiness), आखों में धुंधलापन (Blur vision), मुंह का सूखना या बुखार (Fever) जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं।
डिहाइड्रेशन (Dehydration) से बचने के लिए पानी ज्यादा से ज्यादा पीएं। पर ये दो दिन तक ठीक न हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर len
इस आर्टिकल में बताये गए सभी लक्षणों के अलावा पाचन और मल से जुड़ी समस्या कई बार हमारी गलतियों की वजह से भी हो जाती है।
इसमें से एक है प्रेशर को रोकना। जिस समय हमें फ्रैश होने की अर्ज महसूस होती है और हम जाने की वजह उसे कंट्रोल करके रखते हैं तो इससे हमारे शरीर का नैचरल फंक्शन गड़बड़ा जाता है।
हालांकि कई स्थितियों में ऐसा मजबूरी के चलते भी करना पड़ता है लेकिन कई बार हमारे पास आप्शन होने के बावजूद भी हम थोड़े समय के लिए रोक लेते हैं।
ऐसा करने से पेट दर्द और कब्ज जैसी समस्या पैदा होती है और ज्यादा समय तक ऐसा करने से शरीर में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है।
इसलिए हमेशा सही समय पर फ्रेश होने की कोशिश करें।
इसके अलावा अपना पाचन और बाउल मूवमेंट (Bowl Movement0 सही बनाए रखने के लिए अपनी डाइट में सही मात्रा में फाइबर, हल्का वर्कआउट (Workout) और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन जरूर करें।
उम्मीद करती हूँ आपके लिए ये आर्टिकल फायदेमंद सिद्ध होगा




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